विजय की गन्दी आदत ने खुशी की जान ले ली

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विजय और खुशी की छोटी सी गृहस्थी थी ! शादी को 6 साल हो गए थे ! रोहन दो साल का हो गया था, अब एक और मेहमान 4 – 5 महीनों में आने वाला था ! विजय खुशी का बहुत ख़्याल रखता था ! खुशी ने भी जीवन के हरेक पल में विजय को हद से ज़्यादा प्यार किया ! शादी के पांच साल बाद भी यूँ लगता कि जैसे अब भी दोनों प्यार में हैं और जल्द से जल्द एक दूसरे के जीवनसाथी बनना चाहते हों ! रिश्तेदारों और क़रीबी दोस्तों के अलावा शायद ही कोई समझ पाता था कि दोनों पति पत्नी हैं ! हाँ रोहन के कारण भले ही अंदाज़ लगा लेते थे वर्ना नहीं !

यूँ तो विजय और खुशी की शादी अरेंज मैरिज के तरह हुई, मगर सच यही था कि दोनों एक दूसरे को शादी से 3 वर्ष पहले से जानते थे और एक दूसरे को पसंद करते थे ! दिल में एक दूसरे को जगह दी तो फिर कोई और दिल में ना आया ! दुनिया एक दूसरे के दिल में ही बसा ली सदा के लिए ! सबके लिए एक नियत वक़्त आता है और इनदोनों के जीवन में भी वो ख़ूबसूरत वक़्त आया जब माता-पिता समाज ने इन्हें पति-पत्नी के बंधन में बांध दिया !

जीवन आगे बढ़ा और प्यार भी ! विजय और खुशी के बीच हर तरह की बात होती ! अमूमन पति पत्नी बनने के बाद ज़्यादातर जोड़ों के बीच बहुत सारी बातें ख़त्म हो जाती है ! पर इनके बीच सबकुछ पहले जैसा था ! हंसी- मज़ाक, ठिठोली, वाद विवाद, एक दूसरे की टांग खिंचाई, एक दूसरे को ख़ास बातों पे सलाह देना लेना, साथ घूमना फिरना, एक ही प्लेट में खाना, एक दूसरे का इंतज़ार करना आदि सब कुछ बहुत प्यारा था विजय और खुशी के बीच ! ऐसा नहीं कि विजय और खुशी के झगड़े ना होते हों, होते थे मगर वैसे ही, जैसे दोस्त लड़ते झगड़ते मुँह फुलाते और आख़िर में वही होता, चलो छोड़ो ना यार जाने दो ना, सॉरी बाबा.. माफ़ कर दो ना ! ग़लती हो गयी और दोनों एक दूसरे को गले लगा लेते !

सब कुछ अच्छा चल रहा था ! कहीँ कोई कमी ना थी ! फिर भी जाने क्यूँ कभी कभी खुशी उदास हो जाती पर अगले ही क्षण अपनी उदासी झटक कर मुस्कुरा देती ! विजय कभी शायद ही उसके उदास पल देख पाता और कभी दिख भी जाता तो खुशी कहती – कुछ नहीं यूं ही ! रोहन के साथ दोनों के जीवन और निरंतर करिअर की प्रगति से दोनों इतने ख़ुश थे कि कई लोगों के मन में ईर्ष्या भी पैदा हो जाती !

हालाँकि विजय और खुशी के बीच भी कई सारे अंतर थे जो किसी भी युगल में होना स्वाभाविक है, क्योंकि दो अलग अलग परिवार, परिवेश और अलग शहर के लोग एक हो भी नहीं सकते ! परंतु दोनों ने एक दूसरे के साथ बड़ी सहजता से हर तरह का तारतम्य बिठा लिया था ! प्रेम चीज़ ही ऐसी है जो दूसरे को ख़ुश रखने की कला सिखा ही देती है ! मगर इन सब बातों के बीच एक ऐसी बात थी, एक ऐसी आदत विजय की जो खुशी कभी भी दिल से एक्सेप्ट नहीं कर सकी हालाँकि उसने कोशिश बहुत की ! 

उसने कई बार विजय से कहा भी, बहुत मिन्नतें भी की, कि प्लीज़ इस आदत को छोड़ दो ये हमारी प्यारी गृहस्थी हमारे रिश्ते हमारे अगाध प्यार के बीच एक दाग है ! कहते कहते तो अब 6 साल बीतने को थे !

विजय ने जाने उस आदत को ख़ुद त्यागना ना चाहा या उससे हुआ नहीं ये पता नहीं जबकि कहते है कि दुनिया में ज़िन्दगी और मौत के अलावा बाक़ी सब कुछ संभव है ! ख़ैर, वक़्त बीतता रहा, खुशी ने अपने मन को ही समझा लिए ! उसको याद आता कि सभी बड़े बुजुर्ग और बुद्धिजीवि लोगों का कहना है कि इस संसार में ऐसा कोई नहीं जिसको जीवन की संपूर्ण खुशियाँ मिल जाए ! वो सोचती कोई बात नहीं, दुनिया में तो लोगों को ना जाने कितने ग़म हैं ! मैं तो संसार की ख़ुशकिस्मत लड़की हूँ जो विजय जैसा जीवनसाथी है मेरा !

नन्हें मेहमान के आगमन मे बस दो महीने की देरी थी ! विजय जल्दी घर आता खुशी को बहुत बहुत प्यार देता ! रोहन भी ख़ुश था क्योंकि उसको बताया गया कि मम्मी तुम्हारे लिए जल्दी ही एक बहुत ही सुंदर गुड्डा या गुड़िया लेने जाएंगी जो तुम्हारे साथ खेलेगा भी दौड़ेगा भी और बातें भी करेगा ! रोहन को गोद में लिए विजय खुशी के साथ बैठ घंटों दुनिया जहान की बातें करता ! खुशी हर वक़्त ख़ुश थी पर कभी कभी अनायास पूछ बैठती, विजय तुम सच में अपनी आदत नहीं छोड़ सकते ! विजय उसके हाथ थाम फिर वही बात दुहरा देता जो पिछले छह साल से कह रहा था, बस दो चार दिन दे दो मुझे ! सच कहता हूँ इस बार पक्का तुम्हें शिकायत का मौका नहीं दूंगा ! खुशी कसक भरी मुस्कान के साथ सर हिला देती, ओके प्लीज़ इस बार ज़रूर ! विजय प्यार से खुशी के माथे को चूम लेता कभी गालों पर थपकी देकर कहता इस बार पक्का प्रॉमिस ! बात फिर ख़त्म हो जाती !

एक शाम अचानक खुशी का दिल बहुत किया कि आज आइसक्रीम खाने चलते हैं, विजय ने कहा मैं घर पे ही ले आता हूँ ! खुशी नहीं मानी ! तीनो तैयार होकर आइसक्रीम पार्लर चले गए ! आइसक्रीम खाते हुए बहुत ख़ुश थे तीनो ! होनी कुछ और लिखी गयी थी जिसका समय नज़दीक था ! तीनो घर वापस आये !  खुशी के दिल में आज फिर एक सोयी हुई ख़्वाहिश जगी ! उसने विजय का हाथ पकड़कर अपनी ओर प्यार से खींचते हुए कहा – विजय , सुनो ना एक बात, इधर आओ तो ज़रा ! पर विजय ने पुरानी आदत के अनुसार हाथ छुड़ाते हुए कहा रुको खुशी बस 5 मिनट, मैं अभी आया, बस अभी तुम्हारे ही पास आकर बैठता हूँ ! कहकर विजय बालकनी में चला गया और सिगरेट पीने लगा !

अचानक ही खुशी की तेज़ चीख सुनकर विजय दौड़ा ! खुशी वॉशरूम में लहूलुहान पड़ी थी ! उसके मुँह से कोई आवाज़ नहीं निकल रही थी ! विजय ने बिना देर किए एम्बुलेंस बुलाया और खुशी को कुछ ही पल में हॉस्पिटल पहुंचाया गया ! तत्काल इलाज़ शुरु हुआ ! विजय तबतक अपने माता-पिता और खुशी के घरवालों को भी ख़बर कर चुका था ! सभी आ गए सभी खुशी के लिए चिंतित और दुखी थे !

डॉक्टर्स, खुशी की कंडीशन को अब भी ख़तरे में बता रहे थे ! बच्‍चा पेट में ख़त्म हो गया था ! डॉ ने ऑपरेशन कर दिया था और अब खुशी को बचाने की कोशिश में जुटे थे ! माँ ने विजय के हाथ में एक पेपर देते हुए कहा ये तकिये के नीचे रखा था शायद, रोहन के हाथ में खेलते हुए आ गया !

कोई ज़रूरी चीज़ हो शायद ये सोच मैं लेते आई ! माँ पढ़ना नहीं जानती थी सो विजय पढ़ने लगा ! उसने पहचान लिया, ये खुशी की लिखावट थी और जगह जगह स्याही ऐसे बिखरे हुए थे कि लग रहा था 

उसने रोते रोते ही ये सब लिखा है ! अरे ये तो अभी शाम को लिखा है उसने ! क्योंकि खुशी की आदत सभी जानते हैं वो कुछ भी लिखती है तो उसपे अपने साइन करके नीचे तारीख़ और समय भी लिखती है ! मतलब कि जब विजय थोड़ी देर के लिए सिगरेट पीने बालकनी में गया था तभी खुशी ने ये लिखा था !

विजय पढ़ने लगा – पता है विजय, जब प्यार में हम दोनों सराबोर हुए थे पहली बार, जब हम पहली बार अपने अपने दिल की बात एक दूसरे से कहने को मिले थे, जो शायद हमारे प्यार की पहली ही शाम थी, उस दिन हमने समंदर किनारे बने उस कॉफ़ी होम में समंदर की लहरों को साक्षी करके एक दूसरे से पूछा था कि हम एक दूसरे को ऐसा क्या दे सकते हैं जो सच में बहुत नायाब हो ! मैंने कहा पहले आप कहो विजय ! याद है विजय आपने क्या कहा था – आपको तो शायद याद ही नहीं है ! लेकिन मैं एक पल भी नहीं भूली ! आप ही ने कहा था विजय कि मैं तुम्हारे साँसों से अपनी साँसों को जोड़ना चाहता हूँ बोलो दोगी मुझे ये तोहफ़ा ! मैंने आपकी आंखों में प्यार की सच्चाई देखी थी उस एक पल में मैंने आपके साथ अपना पूरा जीवन देख लिया था ! ऐसे तोहफे आप मांगेंगे ये कल्पना तो नहीं की थी लेकिन आपकी इस ख़्वाहिश ने ही मुझे भी ये ख़्वाहिश दे दी कि मै आपकी ये इच्छा ज़रूर पूरी कर दूँ ! दिल में तो आया था कि अभी ही पूरी कर दूँ ! पर मैं शादी के बाद आपकी ये इच्छा ज़रूर पूरी करूँगी मैंने सोच लिया था !

लेकिन साथ ही ये भी था कि मुझे आपकी सिगरेट बर्दाश्त ना थी ! मैंने अपने घर परिवार में कभी ये सब देखा नहीं था ! मुझे इसके धुएँ से इसकी अजीब सी स्मेल से हद से ज़्यादा नफ़रत थी, मेरा दम घुटने को हो आता है इससे ! लेकिन फिर भी मैंने नज़रें नीची करके कहा कि सही वक़्त आने पर आपको ये तोहफ़ा ज़रूर दूँगी !फिर आपने मुझसे पूछा कि तुम्हें मुझसे क्या चाहिए..  मैंने एक ही चीज़ मांगी थी, विजय आप ये सिगरेट पीना छोड़ दो इसके अलावा मुझे सारी ज़िन्दगी कुछ और नहीं चाहिए ! आपने कहा बस एक सप्ताह बाद तुम मुझे सिगरेट पीते नहीं देखोगी ! मैं कितनी ख़ुश हुई थी आप इसका अंदाज़ा नहीं लगा सकते ! लेकिन आपने पलट कर ये नहीं पूछा कि मुझे यही तोहफ़ा नायाब क्यूँ लगा ! मैंने बताया भी नहीं ! जानते हो विजय क्युं यही मांगा था मैंने, ताकि मै आपकी ख़्वाहिश पूरी कर सकूं ! हाँ विजय आपकी साँसों से अपनी साँसों को जोड़ने की ख़्वाहिश मेरे मन मे भी जग चुकी थी ! पर आपकी सिगरेट ने मुझे ये कभी करने ना दिया !

मुझे आपसे बहुत प्यार मिला है विजय बहुत सम्मान मिला है ! आपको जीवनसाथी पाकर मै इस जहान में ख़ुद को सबसे ज़्यादा ख़ुश नसीब पाती हूँ ! हमारे प्यार के अनगिनत पल हैं विजय ! हमारी एक दूसरे से नज़दीकियाँ तो शरीर और आत्मा की तरह है विजय ! पर बेहद अजीब है ना कि इतने करीब होकर भी वो पल नहीं आ पाया कि मेरा वादा और मेरी एक छोटी सी ख़्वाहिश पूरी हो सके !

शादी के बाद इन 6 सालों में आपने मेरे लिए बहुत कुछ किया पर अफसोस मेरी एक छोटी सी ये ख़्वाहिश आज भी अधूरी है ! कितनी बार मैंने चाहा मगर हर बार जब भी आपकी सांसों के हम क़दम बनना चाहा हर बार वही सिगरेट की अजीब सी गंध ने मुझे मुँह फेर लेने पे मज़बूर किया ! लेकिन आपने कभी समझने की कोशिश नहीं की ! क्या कोई यक़ीन कर सकता है विजय , कि पति पत्नी होकर, एक बच्चे के माता-पिता होकर भी हम एक दूसरे के होठों के स्पर्श को नहीं जानते ! लोग हँसेंगे कि ये क्या बकवास है, भला ये 6 साल के दाम्पत्य जीवन में ऐसा पल ना आया हो ! मै कैसे कहूँ कि ये हमारे अटूट बंधन, गहरे प्रेम के बीच ये एक दाग की तरह है मगर सच है ! आप नहीं समझोगे विजय ! लेकिन मैं अब समझ गयी हूँ, आप मुझे भी शायद छोड़ सकते हो लेकिन सिगरेट को नहीं, कभी नहीं !

मैं फिर आज इसलिए लिख रही हूँ क्यूंकि आज हद से ज़्यादा दिल मचल गया था और लगा था कि आपने आज तो बहुत देर से सिगरेट नहीं पी है ! शायद आज एक बार ही सही मेरी ख़्वाहिश पूरी हो जाएगी ! लेकिन आज भी आप हाथ छुड़ाकर सिगरेट उठाकर चल दिए ! मै रोना चाहती हूं चीख चीखकर पर नहीं रो सकती, शायद हमारे अगाध प्रेम में ये शोभनीय नहीं होगा, मैं बांटना चाहती हूँ अपना ये दर्द मगर क्या ये किसी से कहना उचित लगेगा ! बेहद अपमानित महसूस करने लगी हूँ आपकी सिगरेट के सामने अपने आप को ! कोई तरीक़ा नहीं है मेरे पास अपने इस अधूरी ख़्वाहिश का दर्द बांटने के लिए सिवाय इसके कि पन्ने पे उतार कर दिल हल्का कर लूँ ! जबकि जानती हूँ पहले की ही तरह कुछ देर बाद इसको भी फाड़कर फेंक दूँगी पर कोई बात नहीं दिल तो हल्का हो जाता है ! आई लव यू विजय , लव यू ऑलवेज़ !

पढ़ते पढ़ते विजय बेहिसाब आंसुओं में डूब गया ! उसे आज एहसास हुआ उसके सिगरेट के लत के कारण क्या से क्या हो गया ! उसके मन में सारे घटनाक्रम प्रत्यक्ष हो उठे !

विजय के सिगरेट लेकर चले जाने के कारण खुशी को आज बहुत ज़्यादा बुरा लगा उसके आँखो से आँसू छलक आए ! उसने पेपर पेन उठाया और अपने मन की सारी बात उस काग़ज़ पे उड़ेल कर अपने मन को हल्का कर लिया ! जब तक विजय सिगरेट ख़त्म करके कमरे में वापस आने वाला था, खुशी का चेहरा आंसुओं से भीग गया था ! वो उठकर मुँह हाथ धोने चली गयी ! जब वो वॉशरूम से वापस आने लगी ना जाने कैसे उसका पैर फिसल गया ! प्रेगनैन्सी के कारण उसको चक्कर आया होगा या कि उसकी जीवन की इतनी ही अवधी तय थी ये तो परमात्मा को ही पता था या फिर ख़ुद खुशी को ही !

विजय पागलों की तरह डॉक्टर से कह रहा था मेरी खुशी को बचा लो ! मेरा सब कुछ ले लो मेरी जान भी उसको दे दो मगर बचा दो उसको ! लेकिन ये नहीं हो सका ! 8 घंटे के अथक प्रयास के बाद डॉ ने आकर कहा हमने बहुत कोशिश की लेकिन हम हार गए ! खुशी के पास अब ज़्यादा समय नहीं, उससे मिल लें आप लोग ! विजय बदहवाश खुशी के पास पहुंचा ! खुशी की आँखे शून्यता से भरी थी ! विजय ने उसका हाथ थामा और पागलों की तरह कहने लगा खुशी मुझे छोड़कर मत जाओ, मत जाओ खुशी मैं तुम्हारी हर बात मान लूंगा आज से अभी से ! अब नहीं टालूंगा एक सेकंड भी नहीं ! बस मत जाओ, मत जाओ मुझे छोड़कर ! खुशी की आंखें विजय के चेहरे पे टिक गयी ! वो बहुत मुश्किल से ज़रा सा मुस्करायी और अपने होठों पे एक मासूम सी ख़्वाहिश सजाये हमेशा के लिए ख़ामोश हो गयी !

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